Bhagwadavatari Ki Aarti


प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

हे प्रभु आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिये, शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये ॥
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें, ब्रह्मचारी धर्म रक्षक वीर व्रतधारी बनें ॥


यस्य भाषा विभातिदं सर्वं सद्सदात्मकं । सर्वाधारं सदानन्दं परमात्मानं तं हरिं भजे ॥
ज्ञान मूलं प्रभु प्राप्ति, पूजा मूलं प्रभु पादुका । मन्त्र मूलं प्रभु वाक्यं, मोक्ष मूलं प्रभु कृपा ॥

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव महाराज की -- जय !

परमपिता परमेश्वर की -- जय !!
आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की -- जय !!!

भगवदावतारी प्रभु सदानंद जी की आरती

प्रभु सदानन्द अवतारी की, शुभ आरति कीजै ।
आरति कीजै शुभ आरति कीजै, प्रभु सदानन्द अवतारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

नटवर वेष मनोहर झांकी, नटवर वेष मनोहर झांकी,
सत्य-प्रेम व्रतधारी की शुभ आरति कीजै । सत्य-प्रेम व्रतधारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

श्री किशुन जी के पुत्र मां श्रृंगारी जी के नन्दन, श्री किशुन जी के पुत्र मां श्रृंगारी जी के नन्दन ।
इन्द्रदेवजी के छोटे भइया की शुभ आरति कीजै। परमानन्दजी के छोटे भइया की शुभ आरति कीजै॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

नयनानन्द प्रभु ज्ञान के दाता, ज्ञान के दाता तत्त्वज्ञान के दाता ।
अखिल भुवन करतारी की शुभ आरति कीजै । अखिल भुवन करतारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

जड-चेतन सचराचर स्वामी, जड-चेतन सचराचर स्वामी ।
अकथ-अगम अविकारी की शुभ आरति कीजै । अकथ-अगम अविकारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

परमधाम वासी भव भय नाशी, भव भय नाशी स्वामी भव भय नाशी ।
खल-दल-बल दनुजारी की शुभ आरति कीजै। खल-दल-बल दनुजारी की शुभ आरति कीजै॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

ब्रह्मा-इन्द्र-शिव मुनि सुर नर, ब्रह्मा-इन्द्र-शिव मुनि सुर नर ।
वेद भनत पचिहारी की शुभ आरति कीजै, वेद भनत पचिहारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

आदि-शक्ति जग जननी माता, आदि-शक्ति जग जननी माता ।
युगल छबी मनहारी की शुभ आरति कीजै, युगल छबी मनहारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

आयहुं शरण दयालु नाथ की, आयहुं शरण दयालु नाथ की ।
प्रभु सदानन्द छविधारी की शुभ आरति कीजै, प्रभु सदानन्द छविधारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

प्रभु सदानन्द अवतारी की, शुभ आरति कीजै ।
आरति कीजै शुभ आरति कीजै, प्रभु सदानन्द अवतारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥
त्वमेव सर्वं मम देव देव । त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

बार बार वर माँगहु हरषि देहु प्रभु सदानन्द । पद सरोज अनुपायनी, भक्ति सदा सत्संग ॥
भक्ति दान मोहि दीजिये, प्रभु देवन के देव । और नहीं कछु चाहिये, प्रभु निस दिन तुम्हरि सेव ॥
अर्थ धर्म अरु काम रुचि, न चाहूँ निर्वाण । भक्तिदान मोहि दीजिए कृपा सिन्धु भगवान ॥
प्रभु के सुमिरन मात्र से नासत विघ्न अनन्त । ताते सर्वारम्भ में सुमिरत हैं सब सन्त ॥

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

धर्म की -- जय हो ! (3)
अधर्म का -- विनाश हो ! (3)
प्राणियों में -- सद्भावना हो ! (3)
विश्व का -- कल्याण हो ! (3)
सत्य की -- विजय हो !!! (7)

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

हे प्रभु आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिये, शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये ॥
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें, ब्रह्मचारी धर्म रक्षक वीर व्रतधारी बनें ॥


यस्य भाषा विभातिदं सर्वं सद्सदात्मकं । सर्वाधारं सदानन्दं परमात्मानं तं हरिं भजे ॥
ज्ञान मूलं प्रभु प्राप्ति, पूजा मूलं प्रभु पादुका । मन्त्र मूलं प्रभु वाक्यं, मोक्ष मूलं प्रभु कृपा ॥

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव महाराज की -- जय !

परमपिता परमेश्वर की -- जय !!
आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की -- जय !!!

भगवदावतारी प्रभु सदानंद जी की आरती

प्रभु सदानन्द अवतारी की, शुभ आरति कीजै ।
आरति कीजै शुभ आरति कीजै, प्रभु सदानन्द अवतारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

नटवर वेष मनोहर झांकी, नटवर वेष मनोहर झांकी,
सत्य-प्रेम व्रतधारी की शुभ आरति कीजै । सत्य-प्रेम व्रतधारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

श्री किशुन जी के पुत्र मां श्रृंगारी जी के नन्दन, श्री किशुन जी के पुत्र मां श्रृंगारी जी के नन्दन ।
इन्द्रदेवजी के छोटे भइया की शुभ आरति कीजै। परमानन्दजी के छोटे भइया की शुभ आरति कीजै॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

नयनानन्द प्रभु ज्ञान के दाता, ज्ञान के दाता तत्त्वज्ञान के दाता ।
अखिल भुवन करतारी की शुभ आरति कीजै । अखिल भुवन करतारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

जड-चेतन सचराचर स्वामी, जड-चेतन सचराचर स्वामी ।
अकथ-अगम अविकारी की शुभ आरति कीजै । अकथ-अगम अविकारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

परमधाम वासी भव भय नाशी, भव भय नाशी स्वामी भव भय नाशी ।
खल-दल-बल दनुजारी की शुभ आरति कीजै। खल-दल-बल दनुजारी की शुभ आरति कीजै॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

ब्रह्मा-इन्द्र-शिव मुनि सुर नर, ब्रह्मा-इन्द्र-शिव मुनि सुर नर ।
वेद भनत पचिहारी की शुभ आरति कीजै, वेद भनत पचिहारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

आदि-शक्ति जग जननी माता, आदि-शक्ति जग जननी माता ।
युगल छबी मनहारी की शुभ आरति कीजै, युगल छबी मनहारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

आयहुं शरण दयालु नाथ की, आयहुं शरण दयालु नाथ की ।
प्रभु सदानन्द छविधारी की शुभ आरति कीजै, प्रभु सदानन्द छविधारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

प्रभु सदानन्द अवतारी की, शुभ आरति कीजै ।
आरति कीजै शुभ आरति कीजै, प्रभु सदानन्द अवतारी की शुभ आरति कीजै ॥

(प्रभु सदानन्द अवतारी की...)

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥
त्वमेव सर्वं मम देव देव । त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

बार बार वर माँगहु हरषि देहु प्रभु सदानन्द । पद सरोज अनुपायनी, भक्ति सदा सत्संग ॥
भक्ति दान मोहि दीजिये, प्रभु देवन के देव । और नहीं कछु चाहिये, प्रभु निस दिन तुम्हरि सेव ॥
अर्थ धर्म अरु काम रुचि, न चाहूँ निर्वाण । भक्तिदान मोहि दीजिए कृपा सिन्धु भगवान ॥
प्रभु के सुमिरन मात्र से नासत विघ्न अनन्त । ताते सर्वारम्भ में सुमिरत हैं सब सन्त ॥

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!

धर्म की -- जय हो ! (3)
अधर्म का -- विनाश हो ! (3)
प्राणियों में -- सद्भावना हो ! (3)
विश्व का -- कल्याण हो ! (3)
सत्य की -- विजय हो !!! (7)

प्रेम से बोलिये –

श्रीसद्गुरुदेव जी महाराज की --- जय !

परमपिता परमेश्वर की --- जय !!

आनन्दकन्द लीलाबिहारी प्रभु सदानन्द मनमोहन भगवान की --- जय !!!