Refrence: ध्यान
शव्द: ध्यान
अर्थ: ध्यान से तात्पर्य आत्म-ज्योति के साक्षात्कार की पद्धति से है। ध्यान ही शिव का तीसरा नेत्र कहलाता है। दिव्य-दृष्टि भी ध्यान को ही कहा जाता है। योग-साधना या अध्यात्म की ‘अहं भूमिका’ ध्यान पर आधारित होता है। शरीर की आँख आँख है तो योग-साधना या अध्यात्म की आँख ‘ध्यान’ है। ध्यान आँख जैसा न हीं है बल्कि आँख है ही। स्थूल संसार देखने के लिये स्थूल आँख है और आत्म-ज्योति या ब्रह्म-ज्योति या चेतन-ज्योति या डिवाईन लाइट या नूरे-इलाही या आलिमें नूर या चाँदना या आसमानी रौशनी या सहज प्रकाश या निज-प्रकाश या परम-प्रकाश या भर्गो या ज्योति या दिव्य-ज्योति रूप को साक्षात्कार करने के लिये दिव्य-दृष्टि या तीसरी आँख या ध्यान ही है।