Refrence: धारणा

शव्द: धारणा

अर्थ: अष्टांग योग का छठवाँ अंग धारणा है।धारणा जीवन का एक आधारभूत सिद्धान्त है। यह मात्र योग का ही नहीं,अपितु संसार में शारीरिक-पारिवारिक विकास की धारणा तथा सामाजिक विकास या उत्थान की धारणा; आत्मउत्थान या कल्याण की धारणा तथा सामाजिक सुधार और समाजोद्धार की धारणा,धारणा से तात्पर्य उद्देश्य या लक्ष्य से है। धारणा के बगैर किसी को सफलता मिले यह सोचना ही मूर्खता की बात है। क्योंकि धारण बिना कार्य तो उद्देश्य विहीन कार्य हुआ और जिस कार्य का उद्देश्य ही न हो आखिरकार उसमें सफलता-किस बात की सोची जाय? उद्देश्य या लक्ष्य की प्राप्ति ही सफलता है,तब उद्देश्य या लक्ष्य ही न हो जिसमें उसमें सफलता की बात ही कहाँ? अर्थात् कहीं नहीं। धारणा के बगैर ध्यान-समाधि सब व्यर्थ है। किस बात का ध्यान होगा और ध्यान नहीं तो समाधि भी नहीं। धारणा मात्र योग में ही प्रस्तुत होने वाला शब्द या क्रिया-प्रक्रिया नहीं अपितु एक व्यापक उद्देश्य या व्यापक लक्ष्य वाला शब्द है। अंततः जो धारण करने योग्य हो उसे ही धारण करना धारणा है। यथार्थतः धारणा ही धर्म की आत्मा है।