Refrence: संसार
शव्द: संसार
अर्थ: जड़ और चेतन नामक दो वस्तुओं से गुण और दोषमय दो वृत्तियों से बनी चौरासी लाख योनियों द्वारा अपने गुण और कर्म से युक्त संस्कारों के अनुसार परमेश्वर के संकल्प से उत्पन्न एवं संचालित एक कर्म तथा भोग स्थल ही संसार है। इस प्रकार संसार वह कर्म एवं भोग से युक्त स्थान है, जहाँ पर जीव अपने संस्कारों के आधार पर परमात्मा के निर्देशन में चौरासी लाख योनियों के माध्यम से विचरण करता है।