Refrence: शवासन

शव्द: शवासन

अर्थ: शव के समान ही उत्तान लेटकर किया जाने वाला शवासन होता है। जहाँ तक पर-काया-प्रवेश तथा शरीर से बाहर निकाल कर कार्य करना या विचरण करना अथवा देवलोकों का भ्रमण करके लौटना आदि-आदि समस्त गति-विधियों इसी शवासन के माध्यम से ही होता है।इच्छानुसार शरीर से बाहर-विचरण करना तथा वापस आकार शरीर में प्रवेश कर सामान्य मानव के बीच रहना इसी आसन की देन है। यह आसन अतिशीघ्र ही अति-प्रभावकारी होता है। इसका प्रयोग सक्षम गुरु के अनुपस्थिति में कदापि नहीं करना चाहिये। शरीर को छोड़ कर बाहर गया हुआ जीवात्मा पुनः वापस लौटेगा या नहीं इसकी गारण्टी नहीं दी जा सकती है। यह कारण है कि जब आत्म-नियंत्रण की क्षमता आने के पूर्व यह आसन वर्जित होता है। यह भी संभाव्यता रहती है कि निकला हुआ जीवात्मा कुछ दिनों तक न लौट सके, तब तक इधर शरीर समाप्त कर दी जाय। यह आसन बिल्कुल शव के समान ही लेटना है।