Refrence: स्वस्तिकासन

शव्द: स्वस्तिकासन

अर्थ: स्वस्तिकासन से तात्पर्य ‘स्वस्तिक’ चिन्ह जैसे आसन से है सनातन धर्म के अन्तर्गत कर्म-कांडी विधानोंमें स्वस्तिक चिह्न एक मर्यादित तथा मान्यता प्राप्त धर्म-चिह्न के रूप में स्थान पाता है। सेठ-साहूकार इसको विशेष महत्व की दृष्टि से देखते हैं तथा इसे शुभ-मंगलमय दृष्टि से देखते हैं। उसी स्वस्तिक चिह्न जैसे आकृति होने के कारण इस आसन का नाम स्वस्तिकासन पड़ा। इसके अन्तर्गत बायाँ पैर को दायाँ जंघा के नीचे दायाँ पैर को बायाँ जंघा पर रखकर सीना-गर्दन तथा ललाट एक सीध में रखते हुये स्थिरता पूर्वक बैठना ही स्वस्तिकासन है।आसनों को कसरत-भाव से नहीं, अपितु दिव्य-भाव से करना चाहिये। किसी भी आसन का अभ्यास करते हुये जबर्दस्ती नहीं करना चाहिये। अभ्यसानुसार समय बढ़ाना चाहिये ।