Refrence: ब्रह्मचर्य

शव्द: ब्रह्मचर्य

अर्थ: ब्रह्मचर्य का सामान्य अर्थ तो अविवाहित एवं स्त्री-प्रसंग रहित जीवन से लगाया जाता है परन्तु ब्रह्मचर्य की यथार्थतः इसमें नहीं है अपितु – ‘ब्रह्ममय आचरण (वृत्ति और कृत्ति)’ ही यथार्थतः ब्रह्मचर्य है। मात्र स्त्री-प्रसंग ही ब्रह्मचर्य भंग होने का लक्षण नहीं होता है अपितु स्त्री चिन्तन भी उसी में आता है। अविवाहित रहते हुये भी स्त्री-चिन्तन में पड़े या डूबे रहना भी मानसिक व्यसन है और सैकड़ों हजारों स्त्रियों के बीच या साथ रहते हुये यदि ब्रह्मचर्य आचरण (वृत्ति एवं कृत्ति) है तो इसका ब्रह्मचर्य पर कोई असर या प्रभाव नहीं पड़ता।