Refrence: ध्यान-मुद्रा

शव्द: ध्यान-मुद्रा

अर्थ: ध्यान-मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसके अन्तर्गत दृष्टि बहिर्मुखी न होकर अंतर्मुखी होकर उर्ध्वमुखी रूप में आज्ञा-चक्र में टिकायी जाती है। यही दिव्य-दृष्टि तथा तीसरी दृष्टि भी है, जिससे युक्त रहने के कारण शंकर जी त्रिनेत्र भी कहलाते हैं। आत्म-ज्योति का साक्षात्कार इसी ध्यान-मुद्रा अथवा दिव्य-दृष्टि से ही होता है।